बिन तेरे जिंदगी
बिन तेरे जिंदगी
वो तेरी बातें, तेरा मुस्कुराना,
और फिर तू शरमाए,
पर उसपे मेरा अब कोई हक़ नहीं,
कैसे खुद को समझाए,
कभी रोए,
तो कभी मुस्कुराए,
बिन तेरे जिंदगी का साथ,
हमेशा यूँ ही हम निभाए,
तेरी सादगी और इठलाना,
कभी भूल नहीं पाए,
चले जाने का तेरे,
यक़ीन अब भी नहीं कर पाए,
उम्मीद नहीं आने की अब,
पर इस दर्द को कैसे छुपाए,
आज फिर से एक बार,
दिल को कैसे हम समझाए,
तेरा अक्स रहेगा हमेशा आँखों में,
कुछ इस तरह यादों के दिये जलाए,
महकती रहेंगी ये महफ़िल तेरे नाम से,
हर ग़ज़ल में अपनी यूँ तेरा नाम दोहराए,
↝ रचित कुमार अग्रवाल
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