फिर से एक बार

फिर से एक बार 


चलो एक बार फिर से शुरू करते हैं,
लेकिन इस बार सब अलग करते हैं,

अगर सताना भी अलग होगा,
तो मनाना भी कुछ अलग होगा,

जताना भी अब तुम्हें सब दोबारा पड़ेगा,
पर चिड़ाना अब की बार नहीं पड़ेगा,

चलो एक बार फिर से शुरू करते हैं,
लेकिन इस बार सब अलग करते हैं,

अबके रूठना तुम किसी नयी बात पे,
फिर इसे भुलाना हर मुलाक़ात पे,

पिछला सारा अब हम भूल जाएँगे,
और यादें हम पृथक बनाएँगे,

चलो एक बार फिर से शुरू करते हैं,
लेकिन इस बार सब अलग करते हैं,

सुनो, रुलाना शायद फिर हो सकता हैं,
पर गले लगाना भी तो फिर हो सकता हैं,

माना उतना आसान नहीं हैं ये सब कहना,
चाहे जो भी हो तुम बस साथ ही रहना,

एक दूसरे पे थोड़ा ऐतबार करते हैं,
चलो शुरू फिर से एक बार करते हैं। 

↝ रचित कुमार अग्रवाल

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