नील तो सर्वव्याप्त हैं

नील है अम्बर ,
नील है समन्दर ,
नील है कृष्ण ,
नील है शिव ,
नील नदी हैं ,
नील शिखि हैं। 

नील है व्योम ,
नील है श्याम ,
नील है समुंद्र ,
नील है रूद्र ,
नील तरनी हैं 
नील कलापी हैं। 

नील है मयूर ,
नील है गिरिधर ,
नील है नद ,
नील है आकूपद ,
नील नभ हैं ,
नील शंकर हैं। 

अनन्त या आसमान में ,
पयोधि या पारावार में ,
माधव या मुरलीधर में,
महेश या महादेव में,
सरिता या शैलजा में ,
मोर या मेहप्रिय में ,

नील तो सर्वव्याप्त हैं। 


↝ रचित कुमार अग्रवाल 

Comments

Anonymous said…
It's a great poem. Right choice of words and it's quite meaningful. I think you should participate in Wingword poetry competition where you can showcase your talent and get it published.

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