एक हम और एक वो
एक हम हैं ...
जो उनकी ख़ुशी का जश्न मनाते रहे
और एक वो हैं ...
जो मुस्कुरा के हमसे एक अलविदा भी न कह सके !!!!
एक दौर था....
हम उनके लिए खुदा हुआ करते थे
और एक आज था....
जब वो देख के पहचान भी न पाए !!!!
एक तमन्ना हैं....
की जो चाहे वो सब उसे मिले
और एक ख्वाब था...
जिसे वो अपना मान लेने से इंकार कर गए!!!!
एक हम हैं ...
जो उनकी ख़ुशी का जश्न मनाते रहे
और एक वो हैं ...
जो मुस्कुरा के हमसे एक अलविदा भी न कह सके !!!!
↝ रचित कुमार अग्रवाल
Comments